बारह महीनों का ये साल, युॅंहीं निकल गया, किनारे कर दिए दुखु, और सुखो से वास्ता जोड़ लिया। बारह महीनों का ये साल, युॅंहीं निकल गया, किनारे कर दिए दुखु, और सुखो से वास्त...
मिलते ही न ज़ाने कैसे ये शाम हो आती है मिलते ही न ज़ाने कैसे ये शाम हो आती है
मेरा अप्रेषित प्रेमपत्र कभी तो आप देख पाएं। मेरा अप्रेषित प्रेमपत्र कभी तो आप देख पाएं।
इस घर का मौसम पाँच साल से नहीं बदला। इस घर का मौसम पाँच साल से नहीं बदला।
जंगल में थे दो बारहसींगे खुबसूरत सींग के मद में थे चूर! जंगल में थे दो बारहसींगे खुबसूरत सींग के मद में थे चूर!
इन नौ मास की जीवन में ना कोई समता है। इन नौ मास की जीवन में ना कोई समता है।